रात काली का डर नही है मुझे काली सोच के डर से निकली ना मैं घर से मेरे रात काली को मिटा सकती थी मैं ले चिराग हाथों में मेरे रोशनी कर सकती थी क्या ले चलू इस काली रात में मैं जो मिटा सकू सोच ये काली बचा सकू इज़्ज़त मेरी इस काली रात में चली जो हिम्मत कर मैं काली रात में आई याद मुझे वो बहने मेरी जो तबाह हो गई इस काली रात में इछाए थी मेरी भी निकलू बाहर मैं लेकिन डर गई जब शर्मशार होती इंसानियत देखी इस काली रात में रात काली का डर नही है मुझे काली सोच के डर से निकली ना मैं घर से मेरे ©Vishal Sharma #कालीरात #Darknight #ijjat #girl #Insaniyat #diary