जो हमको अपना कहते थे, हमे लूटने वाले निकले! जिनको गैर समझते थे हम, वो लोग बड़े दिलवाले निकले! कंचन सी सुन्दर काया में मिले हजारो मित्र मगर, जितने जिनके उजले तन थे, वे भीतर से काले निकले... #बहुत_ही_काले