कहानी मैं वैलेन्टाइन नहीं मनाती भाग २ #part_2 कहानी-मैं वैलेंटाइन नहीं मनाती। "हाँ वो मैं क्या कह रहा था, कि ये हमारा पहला वैलेंटाइन है, क्यों न कहीं बाहर डिनर करने चलें...क्या कहती हो? अच्छा सुनो! मुझे समझ नहीं आया, तुम्हें क्या गिफ्ट दूं? तुम्हारी डायरी से एक पेज गिर गया था, जिसमें लिखा था तुम्हें सितारों के नीचे, व्हाइट लिलीज़ और कैंडकैंडल्स से सजी व्हाइट टेबल पर किसी का हाथ थाम कर चैंम्पेन खोलनी है...होटेल का एड्रेस भेज रहा हूँ टाॅप फ्लोर पर एक टेबल बुक करवाई है।" वैलेंटाइन! आज वैलेंटाइन है! हह् कभी कितनी रोमांच से भरी हुआ करती थी ये तारीख:, पूरे कैम्पस में एक भी लङका नहीं था, मगर वैलेंटाइन वीक की धूम तो कुछ और ही रहती थी। रोज़ डे पर सिंगल लडकियां भी 30₹ का गुलाब खरीद कर डायरी में रख लेतीं थी...वो डायरी का पन्ना जो अभी उसके पति ने सुनाया, वोही सालों पहले किसी को कहने वाली थी, तारीख 2/2/19...फोन उठाते ही, बङे एक्साइटमेंट में कहा था उसने, "सुनो न राक्षस वैलेंटाइन आने वाला है" दूसरी तरफ से हंसती हुई आवाज़ आई, "तुम, तुम रहने ही दो ठीक है, सटक गई हो तुम बिल्कुल ही हैं...क्या होता है ये वैलेंटाइन.." "राक्षस!"