कभी कभी तो मुझे लगता है मेरी शायरी से जहाँपनाह अकबर कब्र से निकल के ये न बोले , ये कौन गुस्ताख़ है जो , शायरी के नाम पर , कर रहा है गुस्ताखी , गर लिखते हमारे दौर में , तो कोई नहीं थी माफ़ी , एक अनारकली को तो चिनवाया था, बस तेरी कमी थी बाकी . #gustakhi