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कभी कभी तो मुझे लगता है मेरी शायरी से जहाँपनाह अक

कभी कभी तो मुझे लगता है 
मेरी शायरी से जहाँपनाह अकबर 
कब्र से निकल के ये न बोले , 

ये कौन गुस्ताख़ है जो ,
शायरी के नाम पर ,
कर रहा है गुस्ताखी ,
गर लिखते हमारे दौर में ,
तो कोई नहीं थी माफ़ी ,
एक अनारकली को तो चिनवाया था, 
बस तेरी कमी थी बाकी . #gustakhi
कभी कभी तो मुझे लगता है 
मेरी शायरी से जहाँपनाह अकबर 
कब्र से निकल के ये न बोले , 

ये कौन गुस्ताख़ है जो ,
शायरी के नाम पर ,
कर रहा है गुस्ताखी ,
गर लिखते हमारे दौर में ,
तो कोई नहीं थी माफ़ी ,
एक अनारकली को तो चिनवाया था, 
बस तेरी कमी थी बाकी . #gustakhi
ashash8369079443647

Ash Ash

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