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मेरे हमनशीं बता दे यूं ज़ुबाँ से कुछ ना कहना यूं ते

मेरे हमनशीं बता दे
यूं ज़ुबाँ से कुछ ना कहना यूं तेरा नज़र झुकाना
मेरे हमनशीं बता दे क्या ये रस्म-ए-आशिक़ी है
कभी तुझको पा के खोना कभी खो के तुझको पाना
मेरे हमनशीं बता दे क्या ये रस्म-ए-आशिक़ी है

तेरे शोख़ सुर्ख़ आरिज़, मेरे इन लबों की ज़द में
यूँ हया से कांप जाना फिर सिमट के अपनी हद में

मेरे हमनशीं बता दे यूं ज़ुबाँ से कुछ ना कहना यूं तेरा नज़र झुकाना मेरे हमनशीं बता दे क्या ये रस्म-ए-आशिक़ी है कभी तुझको पा के खोना कभी खो के तुझको पाना मेरे हमनशीं बता दे क्या ये रस्म-ए-आशिक़ी है तेरे शोख़ सुर्ख़ आरिज़, मेरे इन लबों की ज़द में यूँ हया से कांप जाना फिर सिमट के अपनी हद में

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