चलो ना ऐश फिर से वही साईकल पर घूम आते है वो दुकान वाले काका को उल्लू बनाते है चुपचाप बस्ते उठाकर दीवार फांद आते है वही पेड़ के नीचे रुक कर खाना खा आते है पापा की डांट खा कर माँ के पीछे छुप जाते है चलो ना ऐश ,,,,,