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..........श्री गणेशाय नमः......... "सुदामा जी का त

..........श्री गणेशाय नमः.........
"सुदामा जी का त्याग"
एक कहानी जिसका संक्षिप्त सार अंकित कर रहा हूं। एक बूढ़ी
मां जो जंगल में तपस्या करती थी उनका नित्य का नियम था कि
किसी एक घर में भिक्षा मांगना और उसका भगवान को भोग
चढ़ाना और प्रसाद पाना। एकदिन किसी घर से कुछ चना भिक्षा
में मिला था अगले दिन भोग लगाने के लिए रखी थी। अर्द्ध रात्रि
में कुछ चोर आए और बूढ़ी मां के यहां कुछ नहीं मिला तो उस
चना के पोटली को ही लेकर चले गए। चोरों ने जब खोलकर देखा
तो चकित रह गए फिर भी उस पोटली को फेका नहीं, उसी रात
को गुरु संदीपन जहां प्रभु श्री कृष्ण पढ़ रहे थे चोरी करने के
नियत से उनके आश्रम में चले गए अभी कुछ चोरी कर पाते गुरु
जी जग गए और चोरी वाला चना वहीं छूट गया, और चोर भाग
गए। इधर बूढ़ी मां सुबह भगवान को भोग लगाने के लिए चना
ढूढने लगी तो चना नहीं मिला और माता ने श्राप दे दिया कि जो
चना खायेगा कंगाल हो जायेगा। वही चना गुरु माता ने सुदामा जी
को दिया था कि जब भूख लगे तुम दोनों प्रभु श्री कृष्ण और सुदामा
खा लेना। जब चना सुदामा के हाथ आया तो सुदामा जी अपने
ज्ञान से श्रापित चना की बात जान गए और सोचे कि बूढ़ी माता का
श्राप निष्फल हो नहीं सकता, मैं कंगाल हो जाऊंगा तो कोई बात
नहीं लेकिन तीनों लोकों के स्वामी कंगाल हो गए तो अनर्थ हो 
 जायेगा। यही कारण था अकेले खाने का। जय श्री कृष्ण।

©R K Mishra " सूर्य "
  #त्याग  Mili Saha भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन एक अजनबी Kanchan Pathak Ashutosh Mishra