ज़िंदगी ने हमको समझा पर वो समझ न पाई फिर समझ के मुझको मुसाफ़िर ले ली उसने विदाई हम चले थे उसको मनाने वो थी पानी पे बनी परछाई बातों ही बातों में लिख दी उसने मेरी रिहाई... ♥️ Challenge-889 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।