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केरल के लिए मेरे कलम से एक छोटी सी कविता:- लाशों क

केरल के लिए मेरे कलम से एक छोटी सी कविता:-
लाशों का अंबार लगा है,
सड़क पटी है केरल में।

बाढ़ भयानक,पानी पानी,
धरती फटी है केरल में।

भारी तबाही डूब गए अब,
बढ़ी आपदा शैलाब बढ़ी,
अब परेशान दिख रहे केरल में।

ईश्वर का अभिशाप लगा है,
सहन कर चुपचाप इसे।

भूल गए क्या बीच सड़क पर,
गाय कटी थी केरल में!! Saleem Kausar

डूबने वाले भी तन्हा थे तन्हा देखने वाले थे!
जैसे अब के चढ़े हुए थे दरिया देखने वाले थे !!
केरल के लिए मेरे कलम से एक छोटी सी कविता:-
लाशों का अंबार लगा है,
सड़क पटी है केरल में।

बाढ़ भयानक,पानी पानी,
धरती फटी है केरल में।

भारी तबाही डूब गए अब,
बढ़ी आपदा शैलाब बढ़ी,
अब परेशान दिख रहे केरल में।

ईश्वर का अभिशाप लगा है,
सहन कर चुपचाप इसे।

भूल गए क्या बीच सड़क पर,
गाय कटी थी केरल में!! Saleem Kausar

डूबने वाले भी तन्हा थे तन्हा देखने वाले थे!
जैसे अब के चढ़े हुए थे दरिया देखने वाले थे !!