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ग़ज़ल: कशिश इश्क़ की। सुनो यारों कशिश इश्क़ की, स

ग़ज़ल: कशिश इश्क़ की।

सुनो यारों कशिश इश्क़ की,
सर्दी-गर्मी वर्षा कुछ न देखें।

सर्द मौसम जा चुका है ना,
गर्मी का मौसम आ गया है।

गर्मी के मौसम में पानी पीना,
तरल पदार्थ है खूब लेना-देना।

सुनो सुनो मेरी प्यारी बहना,
मानों न बड़े भैया का कहना।

पहले पचास बाराती आते,
अब पच्चीस कर दिए गए।

जब भी तुम्हारा हों विवाह,
भाई के बिना ना हो निकाह।

ऐसा उपहार देंगे हम तुमको,
बोलोगे जी शुक्रिया वाह-वाह।

©Das Sumit Malhotra Sheetal ग़ज़ल: कशिश इश्क़ की।

सुनो यारों कशिश इश्क़ की,
सर्दी-गर्मी वर्षा कुछ न देखें।

सर्द मौसम जा चुका है ना,
गर्मी का मौसम आ गया है।
ग़ज़ल: कशिश इश्क़ की।

सुनो यारों कशिश इश्क़ की,
सर्दी-गर्मी वर्षा कुछ न देखें।

सर्द मौसम जा चुका है ना,
गर्मी का मौसम आ गया है।

गर्मी के मौसम में पानी पीना,
तरल पदार्थ है खूब लेना-देना।

सुनो सुनो मेरी प्यारी बहना,
मानों न बड़े भैया का कहना।

पहले पचास बाराती आते,
अब पच्चीस कर दिए गए।

जब भी तुम्हारा हों विवाह,
भाई के बिना ना हो निकाह।

ऐसा उपहार देंगे हम तुमको,
बोलोगे जी शुक्रिया वाह-वाह।

©Das Sumit Malhotra Sheetal ग़ज़ल: कशिश इश्क़ की।

सुनो यारों कशिश इश्क़ की,
सर्दी-गर्मी वर्षा कुछ न देखें।

सर्द मौसम जा चुका है ना,
गर्मी का मौसम आ गया है।