Nojoto: Largest Storytelling Platform

आसमान के तख्त पर, एक गुमनाम सा शहर पला है, काली सी

आसमान के तख्त पर,
एक गुमनाम सा शहर पला है,
काली सी है फर्श उसकी,
जैसे गहरी आग में जला है,
उठ रहा है धुआं सा शहर से,
जैसे धुआं भी सतह पर चला है,
ना जाने कैसा मौसम है वहां का 
जो आकाश वहां घनघोर नीला है।। बादलों के ऊपर जो जहान है वो अदभुत , आनंदमई, अविश्वसनीय, सुकुंदायक तो है मगर धरती पर पर्यावरण के साथ किए हमारे दुरेवहवार का आइना है। जिस प्रकार  प्रकृति अब विनाशकारी बदलाव दिखा रही है ऐसा प्रतीत होता है के अगर हमने अभी भी प्रकृति को नुकसानकारी कार्य पर विराम नहीं लगाया तो प्रकृति अपना संतुलन बनाए रखने के लिए बहोत बड़ी परीक्षा लेगी। समय है प्रकृति को समझना और उसकी इज्जत करना।।
आसमान के तख्त पर,
एक गुमनाम सा शहर पला है,
काली सी है फर्श उसकी,
जैसे गहरी आग में जला है,
उठ रहा है धुआं सा शहर से,
जैसे धुआं भी सतह पर चला है,
ना जाने कैसा मौसम है वहां का 
जो आकाश वहां घनघोर नीला है।। बादलों के ऊपर जो जहान है वो अदभुत , आनंदमई, अविश्वसनीय, सुकुंदायक तो है मगर धरती पर पर्यावरण के साथ किए हमारे दुरेवहवार का आइना है। जिस प्रकार  प्रकृति अब विनाशकारी बदलाव दिखा रही है ऐसा प्रतीत होता है के अगर हमने अभी भी प्रकृति को नुकसानकारी कार्य पर विराम नहीं लगाया तो प्रकृति अपना संतुलन बनाए रखने के लिए बहोत बड़ी परीक्षा लेगी। समय है प्रकृति को समझना और उसकी इज्जत करना।।

बादलों के ऊपर जो जहान है वो अदभुत , आनंदमई, अविश्वसनीय, सुकुंदायक तो है मगर धरती पर पर्यावरण के साथ किए हमारे दुरेवहवार का आइना है। जिस प्रकार प्रकृति अब विनाशकारी बदलाव दिखा रही है ऐसा प्रतीत होता है के अगर हमने अभी भी प्रकृति को नुकसानकारी कार्य पर विराम नहीं लगाया तो प्रकृति अपना संतुलन बनाए रखने के लिए बहोत बड़ी परीक्षा लेगी। समय है प्रकृति को समझना और उसकी इज्जत करना।।