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श्रीराधिका जी ने कहा – प्राणनाथ ! जहाँ वृन्दावन नह

श्रीराधिका जी ने कहा – प्राणनाथ ! जहाँ वृन्दावन नहीं है, जहाँ यह यमुना नदी नहीं है तथा जहाँ गोवर्धन पर्वत नहीं है, यहाँ मेरे मन को सुख नहीं मिल सकता

यत्र वृन्दावनं नास्ति न यत्र यमुना नदी ।
यत्र गोवर्धनो नास्ति तत्र में न मन:सुखम्।।

(गर्गसंहिता) श्रीराधिका जी ने कहा – प्राणनाथ ! जहाँ वृन्दावन नहीं है, जहाँ यह यमुना नदी नहीं है तथा जहाँ गोवर्धन पर्वत नहीं है, यहाँ मेरे मन को सुख नहीं मिल सकता

यत्र वृन्दावनं नास्ति न यत्र यमुना नदी ।
यत्र गोवर्धनो नास्ति तत्र में न मन:सुखम्।।

(गर्गसंहिता)
श्रीराधिका जी ने कहा – प्राणनाथ ! जहाँ वृन्दावन नहीं है, जहाँ यह यमुना नदी नहीं है तथा जहाँ गोवर्धन पर्वत नहीं है, यहाँ मेरे मन को सुख नहीं मिल सकता

यत्र वृन्दावनं नास्ति न यत्र यमुना नदी ।
यत्र गोवर्धनो नास्ति तत्र में न मन:सुखम्।।

(गर्गसंहिता) श्रीराधिका जी ने कहा – प्राणनाथ ! जहाँ वृन्दावन नहीं है, जहाँ यह यमुना नदी नहीं है तथा जहाँ गोवर्धन पर्वत नहीं है, यहाँ मेरे मन को सुख नहीं मिल सकता

यत्र वृन्दावनं नास्ति न यत्र यमुना नदी ।
यत्र गोवर्धनो नास्ति तत्र में न मन:सुखम्।।

(गर्गसंहिता)

श्रीराधिका जी ने कहा – प्राणनाथ ! जहाँ वृन्दावन नहीं है, जहाँ यह यमुना नदी नहीं है तथा जहाँ गोवर्धन पर्वत नहीं है, यहाँ मेरे मन को सुख नहीं मिल सकता यत्र वृन्दावनं नास्ति न यत्र यमुना नदी । यत्र गोवर्धनो नास्ति तत्र में न मन:सुखम्।। (गर्गसंहिता)