मानवता से बड़ा ना धर्म कोई ना ज्ञान से बड़ा कोई जात। प्रेम से बड़ा ना औषधी कोई ना अपशब्द से बड़ा कोई घात।। भक्ति से बड़ा ना पूजा कोई ना दया से बड़ा कोई सौगात। गौसेवा से बड़ा ना दान कोई ना धैर्य से बड़ा कोई रात।। कवि- मनोज प्रकाश ©MANOJ TIWARI #सबसेबड़ाधर्ममानवता