एक रोज़ मैंने, महसूस किया कि.. दिल तो है शरीर में मेरे, पर बेजान कहीं.... धड़कता तो है हर क्षण,, शायद गलती से सही..!! (अनुशीर्षक में पढ़ें) ©rishika khushi एक रोज़ मैंने, महसूस किया कि.. दिल तो है शरीर में मेरे, पर बेजान कहीं.... धड़कता तो है हर क्षण,, शायद गलती से सही....! ख़्वाब भी देखती है