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एक रोज़ मैंने, महसूस किया कि.. दिल तो है शरीर में म

एक रोज़ मैंने,
महसूस किया कि..
दिल तो है शरीर में मेरे,
पर बेजान कहीं....
धड़कता तो है हर क्षण,,
शायद गलती से सही..!!



(अनुशीर्षक में पढ़ें)

©rishika khushi एक रोज़ मैंने,
महसूस किया कि..
दिल तो है शरीर में मेरे,
पर बेजान कहीं....
धड़कता तो है हर क्षण,,
शायद गलती से सही....!

ख़्वाब भी देखती है
एक रोज़ मैंने,
महसूस किया कि..
दिल तो है शरीर में मेरे,
पर बेजान कहीं....
धड़कता तो है हर क्षण,,
शायद गलती से सही..!!



(अनुशीर्षक में पढ़ें)

©rishika khushi एक रोज़ मैंने,
महसूस किया कि..
दिल तो है शरीर में मेरे,
पर बेजान कहीं....
धड़कता तो है हर क्षण,,
शायद गलती से सही....!

ख़्वाब भी देखती है