हे द्रौपदी ! मां के कहने पर तुमको हम पांचों की पत्नी बनकर रहना होगा। मां का आदेश हम सब भाइयों के लिए पत्थर की लकीर जैसा है। तुम्हे यह स्वीकार करना ही होगा, तभी मै भी तुम्हे अपनी पत्नी का में दे पाऊंगा। हे अर्जुन! मैंने तुम्हारा वरण किया है तुमको ही अपना सर्वस्व माना है। परन्तु आपकी मां का आदेश मेरे लिए भी सर्वोपरि है और अगर आप भी यही चाहते हैं तो मैं भी इसका मैं रखूंगी मैं इसको स्वीकार करती हूं। तो आज संवाद लिखना है अर्जुन और द्रौपदी के बीच। Mandatory hashtag: #arjun_draupadi #arjun #mahabharat #draupadi #competitionsbymanavi Time limit till 10:00pm tonight... No word limit