हर कोई मोक्ष को ढूँढे (अनुशीर्षक में पढ़ें) हर कोई मोक्ष को ढूँढे अब कौन रोज़ रोज़ ख़ुदा ढूंढे, जिसको ना मिले वही ढूंढे.... ज़र्रे ज़र्रे में है उसकी का वास, फ़िर क्यूँ हम उसे यहाँ वहाँ ढूंढे....