अब.... बडी उम्मीद सी जगी है दिल में, फिर से वो इकरार जीने की, बडी ताकीद सी लगी है दिल में, फिर से वो किरदार निभाने की; इस पल में हम तो हो ही गये थे नासूर, दुनिया की नज़रों में ही सही, कब, कहाँ और किसके थे कसूर, ये किसी ने पुछा ही नहीं; यूँही कदम कदम पे सारी, हमारी बदनामी चढती चली गई, इसीलिए हम और हमारी तन्हाई, गहराई की ओर बढती चली गयी; अब थोडी सी रौशनी है जो मिली, जिसकी हमको कब से तलाश थी, अब थोडी सी बेखुदी है जो मिली, जिसकी हमको कब से तलाश थी; इसीलिए....बडी उम्मीद सी जगी है दिल में, फिर से वो इकरार जीने की, बडी ताकीद सी लगी है दिल में, फिर से वो किरदार निभाने की। ताकिद: urge, insist Life's mistakes n change in life