दीवानों की फ़ितरत लिए, फिरता रहता हूं मैं गली-गली। पर किस्मत की हर गली, हमेशा वीराने से ही सजी मिली। जाने कब क्या खता हुई, हमारी किस्मत हमसे रूठ चली। जब-जब महफिल सजाने की सोची, हमें तनहाई ही मिली। ख्वाब सजाए मंजिल पाने के, पर हमको राह ही ना मिली। ख्वाब टूटे, तो मरने की ख्वाहिश की, पर मौत भी ना मिली। दिल रखता हूं साफ, सारे फर्ज निभाएं, पर रूसवाई ही मिली। वफाएं की जिनसे अपना समझ कर, उनसे बेवफाई ही मिली। 🎀 Challenge-413 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 फ़ितरत एक उर्दू शब्द है जिसका अर्थ होता है प्रकृति, स्वभाव, आदत, उत्पत्ति, पैदाइश, धूर्तता, चालाकी, शरारत। 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।