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जो लफ्ज़ कहे थे हमारे जवाब में जो लफ्ज़ कहे थे तुम

जो लफ्ज़ कहे थे हमारे जवाब में

जो लफ्ज़ कहे थे तुमने कभी हमारे जवाब में, अब भी महक रहे हैं एक-एक हमारे रुबाब में, खत संभाल कर सजा रखे है तुम्हारे आज तक जैसे दिल निकाल रख दिया है हमने किताब में ,

जिस जहां को हमने बना लिया था बात-बात में, तुम्हारे संग जी रहे है अब भी वही तो ख्वाब में, 8 बिछड, ना जाओ तुम कही फिर से अब दोबारा, बरसों से संभाल रखा है पानी इसलिए आंखों में।

संवारे बैठा हूँ कब से जिंदगी के सब रंग बाग में, रंग दे मुझे तू जिस दिन होली हो मेरे भी गाँव में, दीप तो जलाता हूँ मैं भी औरों की तरह हर साल, सजाऊँ तुम संग जो मेरी दिवाली हो उस रात में

©Rakshit Raj
  #Sukha Kuchh Lwaz
rakshitraj3553

Rakshit Raj

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#Sukha Kuchh Lwaz #Life

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