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"ज़िंदगी सपनो की गुलाम हो गयी सपनो के नाम ही नाम

"ज़िंदगी सपनो की गुलाम हो गयी 
 सपनो के नाम ही नाम ज़िंदगी हो 
बचा क्या अब अपने पास एक 
जान और खाली मकान हो गयी
पूरा जीवन बीत जाता है , घड़ी
भर के सपनो को सजाने के लिए 
और इंसान घडी भर भी जी नही 
सकता क्या मिल सका है किसी
को अपने सपनो का जहाँ मन में
सवाल ये हिलोरे मारता है , एक
सपना सजाने के लिए इंसान अपनी 
जिंदगी को अपने हाथों से मारता है 
ज़िंदगी सपनो की गुलाम हो गयी
सपनो के नाम ही ज़िंदगी हो गयी"

©पथिक
  #dream n life

#Dream n life #कविता

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