बस कोशिश यूँ ही किये जा रहा हूँ, जो कुछ याद है उसे भुला रहा हूँ, तमन्ना थी कि साथ रहेंगे उम्र भर ये खाव भुला रहा हूँ एक-एक पल तुम न आओगे यकीं नहीं हो रहा है बात सच्चाई का, यूँ गला दवा रहा हूँ पलक को भीगनें का अब मौका दे रहा हूँ एक दरिया को खो कर समुंदर बहा रहा हूँ यकीं न आया हमें कभी तेरी बेवफाई का खुद के दीये से खुद का घर जला रहा हूँ अब न हमें मौसम गवारा लगता है तेरे चेहरे सा हर चेहरा बेवफा लगता है हम तो मौसम से भी लड़ते रहे हैं अश्क एक सावन भी रोता रहा है मेरी तरह। #LookingDeep #अपना_पराया #वक़्त👉⌛ #मैं बुरा ही सही