आज की बात नई बात नहीं है ऐसी जब कभी दिल से कोई गु

आज की बात नई बात नहीं है ऐसी 
जब कभी दिल से कोई गुज़रा है याद आई है 
सिर्फ़ दिल ही ने नहीं गोद में ख़ामोशी की 
प्यार की बात तो हर लम्हे ने दोहराई है 

चुपके चुपके ही चटकने दो इशारों के गुलाब 
धीमे धीमे ही सुलगने दो तक़ाज़ों के अलाव! 
रफ़्ता रफ़्ता ही छलकने दो अदाओं की शराब 
धीरे धीरे ही निगाहों के ख़ज़ाने बिखराओ 

बात अच्छी हो तो सब याद किया करते हैं 
काम सुलझा हो तो रह रह के ख़याल आता है 
दर्द मीठा हो तो रुक रुक के कसक होती है 
याद गहरी हो तो थम थम के क़रार आता है 
दिल गुज़रगाह है आहिस्ता-ख़िरामी के लिए 
तेज़-गामी को जो अपनाओ तो खो जाओगे 
इक ज़रा देर ही पलकों को झपक लेने दो 
इस क़दर ग़ौर से देखोगे तो सो जाओगे
Zehra Nigaah

©aditi jain
  #nigaah  Chouhan Saab Rajat Bhardwaj Da "Divya Tyagi" Biru Paswan Sagar Parasher
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