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मन में विश्वास बरकरार था  रिश्तों में बंधा था वह 


मन में विश्वास बरकरार था 
रिश्तों में बंधा था वह 
चेहरे पर चिंता की लकीरे थी

कंधे पर थी बच्चों के सपनो की जिम्मेदारिया,
जेब में रुपया न टिकता था

मुश्किलों से फिर भी लड़ता था वो
परेशानियों में भी मुस्कुराता था 

झुके हुए कंधे पर भी 
न उम्मीद का दामन छूटा था 

 पिता था वह हार कर भी
कभी हार कहा मानने वाला था ।

©Poonam Nishad
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