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कदम रुक गए जब पहुंचे हम रिश्तों के बाज़ार में बिक र

कदम रुक गए जब पहुंचे हम रिश्तों के बाज़ार में बिक रहे थे रिश्ते खुले आम बाजार में 
कांपते होठों से मैंने पूँछा क्या भाव है भाई इन रिश्तों का ?
दुकानदार बोला: कौन सा लोगे ? बेटे का या बाप का ?
 बहिन का या भाई का ? बोलो कौन सा चाहिए ? 
इंसानियत का या प्रेम का ? माँ का या विश्वास का ? 
बाबूजी कुछ तो बोलो कौन सा चाहिए चुपचाप क्यों खड़े हो
       कुछ बोलो तो सही मैंने डर कर पूँछ लिया दोस्त का...
दुकानदार नम आँखों से बोला: संसार इसी रिश्ते पर ही तो टिका है माफ़ करना बाबूजी ये रिश्ता बिकाऊ नहीं है..
इसका कोई मोल नहीं लगा पाओगे और जिस दिन
       ये बिक जायेगा उस दिन ये संसार उजड़ जायेगा
    सभी मित्रों को समर्पित  सभी दोस्तों को सेंड करे
कदम रुक गए जब पहुंचे हम रिश्तों के बाज़ार में बिक रहे थे रिश्ते खुले आम बाजार में 
कांपते होठों से मैंने पूँछा क्या भाव है भाई इन रिश्तों का ?
दुकानदार बोला: कौन सा लोगे ? बेटे का या बाप का ?
 बहिन का या भाई का ? बोलो कौन सा चाहिए ? 
इंसानियत का या प्रेम का ? माँ का या विश्वास का ? 
बाबूजी कुछ तो बोलो कौन सा चाहिए चुपचाप क्यों खड़े हो
       कुछ बोलो तो सही मैंने डर कर पूँछ लिया दोस्त का...
दुकानदार नम आँखों से बोला: संसार इसी रिश्ते पर ही तो टिका है माफ़ करना बाबूजी ये रिश्ता बिकाऊ नहीं है..
इसका कोई मोल नहीं लगा पाओगे और जिस दिन
       ये बिक जायेगा उस दिन ये संसार उजड़ जायेगा
    सभी मित्रों को समर्पित  सभी दोस्तों को सेंड करे