मिटता बनता रहता है,पुलिंदा अक़्सर ख्वाबों में, डरता हूँ खुद के ज़ुबान से,कि हो जाये न जिक्र तुम्हारा मेरी बातों में। तुम्हारे ख़ैरियत का ज़िम्मा है मुझ ही पर, तुम शामिल हो मेरे हर ख्यालों में। आरजू नहीं तुम्हारे शिवा कुछ भी मुझे, मेरी चाहत ही है तुम्हारी चाहत में। देखते ही तुम्हें एकदम सुकूँ से मिलता है मुझे, तुम मौजूद हो जैसे मेरी राहत में। #lovekibaten #aaleshquote