मंजिले जितनी लम्बी होंगी, उतना ही ऊँचा मकाम होगा, कदमो में मेरे ये दुनिया होगी, और मुठ्ठी में सारा आसमान होगा, हर गली हर पहर चर्चा ये आम होगा, टूट जाएगा वो शीशा भी एक दिन, खुद को ख़ुदा समझ, जिसको खुद पर गुमान होगा, कहती है मेरी कलम मुझ से, कागज की तरहा ही लोगो के दिलो पे, शब्दो का मेरे एक दिन निशान होगा. ✍️✍️✍️ "Written:- By @ Umesh Kumar" #मुठ्ठी में सारा आसमान होगा,