ओ री पवन पुरवइया मेरा इतना काम करेगी क्या तू उसके बदन को जो छू आये मेरी बसर हो जाए। अरमानों को राह दिखे गर, वो रहगुजर हो जाए तक़दीर सँवर जाए मेरी जो वो हमसफर हो जाए। कोई कह दे उसे कि मेरी गली से रोज़ गुजरा करे यूँ भटकती नज़रों का ख़ुशनुमा सा, सफ़र हो जाए। ♥️ Challenge-654 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।