पत्नी की शादी मेरे घर वालों ने एक योजना बनाई मेरी होने वाली पत्नी की शादी रचाई बात ये नहीं कि उसकी शादी होने वाली थी पर इन सब में बलि तो मेरी ही चढ़ने वाली थी मेरे मन में सन्नाटे ने पाँव पसारा था क्यों कि होने वाला मेरा खसारा था अब पलंग के दोनों तरफ से उतरना होगा बंद और पता नहीं जिंदगी में कितनी होगी जंग मेरे मन में विचारों का अनोखा विहंगम था पता नहीं होने वाला कौनसा संगम था रातों को उठ - उठ कर मैं था रोता खास अटल जी कि तरह मैं भी कुँवारा ही होता महेंद्र बंशी मेघवंशी #MeraShehar