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रास्ते का अंधेरा मुझे उजाला दिखा रहा था , कड़क रही

रास्ते का अंधेरा मुझे उजाला दिखा रहा था ,
कड़क रही थी बिजलियाँ मे फिर भी आगे चले जा रहा था। 
अचानक से हुई एक भयंकर गर्जना ,
जैसे बादलो मे भी भो-काल छा रहा था।।
।।मे फिर भी बढ़ता जा रहा था।। 

कानो मे गुंज रही थी त्राही-त्राही की किलकारीयाँ ,
हर तरफ तबाही का मातम छाँया हुआ था।
घिर गया था मे सन्नाटे के बीच ,
किन्तु मेरा होसला मुझे हिम्मत दे रहा था।। 
।।में फिर भी बढ़ता जा रहा था।। 

टकरा रहा था मुझसे यूँ बार-बार हवाओ का झोका ,
मे गिरते-संभलते फिर खडा हो रहा था। 
मानो जेसे मेरे कानो के परदे फट रहे हो ,
इतनी तेजी से सन-सन हवाओ का बवंडर चल रहा था।।
।।में फिर भी बढ़ता जा रहा था।।

ना कभी रुका था जिवन पथ पे ,
पेरो तले कंकड-पत्थर,ओर काटो को कुचलते हुऐ चल रहा था। 
थी मेरे विपरीत परिस्थितियाँ ,
मे फिर भी निडर होकर मोत की रहा पर चल रहा था।। 
।।में फिर भी बढ़ता जा रहा था।। 
।।में फिर भी बढ़ता जा रहा था।।

            * DevU Raj * #Kamyaabi #ka #safar 

vardha chaudhary Mr Suhail  Khan 🔥Abhi Guru💞 $@K$hî ©h@ûdh®¥ आशीष रॉय 🇮🇳
रास्ते का अंधेरा मुझे उजाला दिखा रहा था ,
कड़क रही थी बिजलियाँ मे फिर भी आगे चले जा रहा था। 
अचानक से हुई एक भयंकर गर्जना ,
जैसे बादलो मे भी भो-काल छा रहा था।।
।।मे फिर भी बढ़ता जा रहा था।। 

कानो मे गुंज रही थी त्राही-त्राही की किलकारीयाँ ,
हर तरफ तबाही का मातम छाँया हुआ था।
घिर गया था मे सन्नाटे के बीच ,
किन्तु मेरा होसला मुझे हिम्मत दे रहा था।। 
।।में फिर भी बढ़ता जा रहा था।। 

टकरा रहा था मुझसे यूँ बार-बार हवाओ का झोका ,
मे गिरते-संभलते फिर खडा हो रहा था। 
मानो जेसे मेरे कानो के परदे फट रहे हो ,
इतनी तेजी से सन-सन हवाओ का बवंडर चल रहा था।।
।।में फिर भी बढ़ता जा रहा था।।

ना कभी रुका था जिवन पथ पे ,
पेरो तले कंकड-पत्थर,ओर काटो को कुचलते हुऐ चल रहा था। 
थी मेरे विपरीत परिस्थितियाँ ,
मे फिर भी निडर होकर मोत की रहा पर चल रहा था।। 
।।में फिर भी बढ़ता जा रहा था।। 
।।में फिर भी बढ़ता जा रहा था।।

            * DevU Raj * #Kamyaabi #ka #safar 

vardha chaudhary Mr Suhail  Khan 🔥Abhi Guru💞 $@K$hî ©h@ûdh®¥ आशीष रॉय 🇮🇳
devu3422511593086

Devushayar

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