सुनो दास्ताँ सुनाती हूँ रानू मंडल की कहानी बताती हूँ हिम्मत ना तू हार कभी सिखला गई उन की जीवनी वर्षो से वो दर्द सही stations में गाती रही छोड़ गए थे उस के अपने गम के पहाड़ तोड़े उसने किसी फ़रिश्ते की बदौलत रातो रात उसको मिली शोहरत अपनी गायकी के दम पे छा गई वो सब के दिल पे कितने ही लोग दौड़े आये उस से अपना नाता बताये शोहरत मिली तो अपने बने सब कहां थे उस के बेदर्द अपने station में भूखी थी जब फिर भी भुला सब गले लगाया उसने अपना फ़र्ज़ निभाया कहती हैं जीवनी उनकी हिम्मत ना तुम हारो कभी गम के बादल हैं छंट जायेंगे उम्मीद अपनी तुम बनाये रहो सिखाती हैं उनकी जीवनी खुद पे तुम विश्वाश रखो आएगा फरिश्ता एक दिन कभी तेरी भी ज़िंदगी में मेरी तरह छायेगा तु भी एक दिन दिल पे नाम तेरा भी होगा सब के लव पे रानू मंडल की दास्ताँ