कि राम जैसे बेटे, राम जैसे पति फिर भी पुण्य से मिल जायेगे, पर समाज का नुकसान तो यहां हुआ है , की राम जैसे राजा समाज में नही मिल पाएंगे, पिता को वचनबद्ध देखकर, वो राज पाट भी छोड़ गय, कल सजना था मस्तक पर मुकुट जिसे, आज वो साधारण सा भेष धरे बनवास की ओर चल पड़े, प्रजा के कल्याण मे एक राजा सब कुछ खो रहे थे, स्वम को भूल प्रजा के सदा हो रहे थे , अभी अभी तो प्रजा की सुनकर, लेनी पड़ी थी अग्निपरीक्षा, केसे दिल पर पत्थर रखकर, अपने जीवनसाथी से कटु कटु वचन कहे थे, अभी भी लोग कहा रुकने वाले थे, अपनी राजरानी को राजाराम से अलग करने वाले थे, आज समस्या यह है कि सत्ता में बैठे लोग लालच नही छोड़ते वहा राजा अपनी रानी सीता का त्याग कर जाते है , उन महारानी का जिन्हे रावण के राज्य से लाने मे सागर भी लांघ गय, महादेव के भक्त रावण से भी भिड़ गय, इन मुस्किलो बाद प्रजा हित में कैसे साहस जगाया होगा, साहस देखो एक राजा की पत्नी राजा की बेटी राजा की बहु का , रानी का कर्तव्य निभाने पति का प्यार से वंचित होना भी स्वीकारा था ले आज्ञा पति से एक रानी ने राज धर्म कर्तव्य निभाने वचनबद्ध पति को करके निस्पक्ष फैसले का अनुरोध किया कि राज पर आंच हमे स्वीकार नही, राज धर्म मे करे फैसले, भले मेरा त्याग अवश्य कर डाले, राज कुल , राज पद पर कलंक असहनीय रहेंगे, समाज हित आपके साथ का वनवास आपके बिना वनवास , त्याग वो भी सही त्याग यह भी सही। समाज ©nensi gangele #राजा#भगवान श्री राम #WoSadak