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जब बिना ध्यान दिए 'अभिव्यक्ति' डरों की भेट चढती ज

जब बिना ध्यान दिए
 'अभिव्यक्ति' डरों की भेट चढती जाती है
तब ' व्यक्तित्व' निर्बल होने लगता है,
फिर एक दिन सिर्फ डर रह जाते है
व्यक्तित्व होते हुए भी अदृश्य हो जाता है..

जबकि डर हमे 'लुप्त' करने के लिए नही,
हमें पुराने भ्रम से 'मुक्त' करने के 
लिए माध्यम बन 
आते है..

©Anupama Sharma #fearisillusion.. 
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