कैसे बिखर रही हैं देखो ये मेरे हक़ की दीवारें कैसे बिफ़र रही हैं देखो ये तेरे हक़ की दीवारें ख़्वाबों का महल बनाया था जो टूट गया है! ढह गया शेष हैं देखो ये शक की दीवारें। ज़िस्म मेरा मुझको केवल पिंजर लगता है। क़ैद हुई रूहों का ये किंकर लगता है। छूट रही जो टीप हुई देखो ये लख की दीवारें। कैसे बिखर रही हैं देखो ये मेरे हक़ की दीवारें ♥️ Challenge-941 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।