InternationalDayOfPeace पूरा कमरा शांत है,फिर ये कैसा शोर है क्या ये मेरे मन की आँधी है? जो फैली चारों ओर है। तन्हाईयां अच्छी लगती है मुझे पर न जाने ये मन की आवाजें,क्यों न रहने देती है मुझे शांत दिल चाहता है बस दो पल जी लू होकर शांत पर ये तरह तरह के विचार,करते रहते है मुझे अशांत न जाने मेरे चित्त को कब मिलेगी शांति कब तक व्याभिचारो से मन में फैली रहेगी अशांति #internationaldayofpeace कनक लता