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इस शहर से निकला ये लिफाफा, उस शहर तक पहुंचते पहुंच

इस शहर से निकला ये लिफाफा,
उस शहर तक पहुंचते पहुंचते, 
जाने किस मालगाड़ी के अंधेरे घुटन भरे कोने से होकर, 
किस डाकिये के बेपरवाह हाथों से गुज़रते हुए,
 अपनी अहमियत खोता जाता है, 
मैं आज तक जान नहीं पाई।

(read full artical in caption) #रिश्तों_में_बदलाव

बदलता वक़्त ...बदलते रिश्ते... और बदलते हम ....

इन सबके बीच अगर कुछ नहीं बदला.... तो वो हैं दिल के किसी कोने में छुपे कुछ अनछुए जज़्बात.... जिनको न तो किसी की बेरुखी बदल पायी है ना किसी की अनदेखी।
सावन आते ही हाथों में कैलेंडर मानो खुद ब खुद चला आता है... ये जानने की उत्सुकता लिए, कि राखी कब है...?

ये जानने की जल्दी इसलिए भी होती है क्योंकि .... जो कलाइयां दूर हैं उन तक राखी वक़्त पर पहुंच पाए, इसके वास्ते वक़्त पर post भी तो करनी होती है...ओर कमसकम 20 दिन पहले खरीदनी भी होती हैं...
इस शहर से निकला ये लिफाफा,
उस शहर तक पहुंचते पहुंचते, 
जाने किस मालगाड़ी के अंधेरे घुटन भरे कोने से होकर, 
किस डाकिये के बेपरवाह हाथों से गुज़रते हुए,
 अपनी अहमियत खोता जाता है, 
मैं आज तक जान नहीं पाई।

(read full artical in caption) #रिश्तों_में_बदलाव

बदलता वक़्त ...बदलते रिश्ते... और बदलते हम ....

इन सबके बीच अगर कुछ नहीं बदला.... तो वो हैं दिल के किसी कोने में छुपे कुछ अनछुए जज़्बात.... जिनको न तो किसी की बेरुखी बदल पायी है ना किसी की अनदेखी।
सावन आते ही हाथों में कैलेंडर मानो खुद ब खुद चला आता है... ये जानने की उत्सुकता लिए, कि राखी कब है...?

ये जानने की जल्दी इसलिए भी होती है क्योंकि .... जो कलाइयां दूर हैं उन तक राखी वक़्त पर पहुंच पाए, इसके वास्ते वक़्त पर post भी तो करनी होती है...ओर कमसकम 20 दिन पहले खरीदनी भी होती हैं...