माँ तो ममता की मूरत है, उसके जैसा है कौन यहाँ? माँ के आँचल के सुख जैसा, सुख मिलता है कब किसे कहाँ? माँ का दुलार पाने को ही, ईश्वर भी नर अवतार लिए। माँ के हाथों भोजन करने, वे बालक का किरदार लिए। #मत्त_सवैया_छंद #माँ_की_ममता #विश्वासी