खुद के लिए बहुत जी लिया दूसरों के लिए बहुत सोच लिया समाज के लिए बहुत चल दिया औरों के लिए बहुत तलाश किया दूसरों की खुशी चलिए थोड़ा हो जाते हैं अब बेपरवाह जीते हैं खुद के लिए सोचते हैं खुद को चलते हैं अपने हिसाब से एक तलाश करते हैं खुद की खुशी को.... © गौरव उपाध्याय 'एक तलाश' #खुद_के_लिए