कुछ हम बदले कुछ बदल गए लोग वो ज़माना कहां गया, नये नये से हैं घर गली वो गांव पुराना कहां गया, कच्ची सड़कों से निकल कर जो शहर में जा बसे हैं लोग, दिल पूछता है उनसे मेरा घराना कहां गया.. वो दादा के किस्से और कहानियां, वो दादी की खट्टी मीठी लोरियाँ, पापा का लाड़ दुलार वो, मां के हाथों की रोटियां, वो भाई से लड़ाई वो बहिन से गालियां, दिल पूछता है मुझसे मेरा आशियाना कहां गया.. जो कभी सुकूं आता थे वो कच्चे घर मकनों में, दिल अटकता था वो नुक्कड़ वाली दुकानों में, वो जो लगती थी महिफिलें इक पेड़ नीचे वो जामेें कहां गईं, डूबा करता था सूरज खेतो में, वो शामें कहां गईं.. गाड़ियों की लाइनें बेजान इमारतें सब हैं यहां, मगर छांव वैसी कहां, ये शहर की चमक सब ठीक है, मगर गांव जैसी कहां.. कुछ हम बदले कुछ बदल गए लोग वो ज़माना कहां गया, नये नये से हैं घर गली वो गांव पुराना कहां गया.. ©Gaurav's write बचपन वाला गांव #gauravswrite #nojotoquote #hindipoetry #hindishayari #Poetry #Shayari #Love #village