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वो धूप बड़े से आँगन की, वह छाँव छप्पर की, वो महक ह

वो धूप बड़े से आँगन की,
वह छाँव छप्पर की,
वो महक हरियाली की,
वह बरसात निराली सी|
                
                    वो थमा हुआ पल जो मेड़ पर गुजरा,
                    वह रात जो तारों के साथ बीती, 
                    वो सुबह जो सूर्य से खिली,
                    वह शाम जो बादलों में छिपी|
    
वे खेल मिट्टी के घरों के,
वे नज़ारे पेड़ की टहनियों से,
वो हवाएं खुले खेतों की,
वो बातें मीठी बागों की|
           बीती ये बातें मेरे गाँव की,
     जो अब याद आती हैं....किसी छूटे हुए सामान सी||     

 #गाँव #यादें #हवाएँ #yqbaba #yqtales #yqdidi #yqbhaijan #yqpoetry
वो धूप बड़े से आँगन की,
वह छाँव छप्पर की,
वो महक हरियाली की,
वह बरसात निराली सी|
                
                    वो थमा हुआ पल जो मेड़ पर गुजरा,
                    वह रात जो तारों के साथ बीती, 
                    वो सुबह जो सूर्य से खिली,
                    वह शाम जो बादलों में छिपी|
    
वे खेल मिट्टी के घरों के,
वे नज़ारे पेड़ की टहनियों से,
वो हवाएं खुले खेतों की,
वो बातें मीठी बागों की|
           बीती ये बातें मेरे गाँव की,
     जो अब याद आती हैं....किसी छूटे हुए सामान सी||     

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