मूक बाट जोहते, न कहते जुबानी, भरे चक्षुओं में खारा पानी, जीवन में पड़ गये एकाकी, बताते संतानों के डाॅलर की कहानी। २२/३६५@२०२२ लगभग परिवारों के बच्चे शिक्षित होकर विदेशों में नौकरी करने जा बसे हैं और यहाँ देश में - परिवार में माता पिता एकाकीपन का जीवन व्यतीत करने को मजबूर हो गए हैं yreeta-lakra-9mba #life