नज़ारों में ग़म का अँधेरा हो गया इन आँसुओं में डूब कर सवेरा खो गया ये दिल डूबता सा है,है चाहत अधूरी सी रही रौशनी से हमेशा ही इक दूरी सी अनजाने,क्यों जाने,दिल मेरा रो गया इन आँसुओं में डूब कर सवेरा खो गया नहीं दिल की हमने की है हिफ़ाज़त दिल ने मेरे फ़िर भी नहीं की है बग़ावत ग़मों का ही दिल में बसेरा हो गया इन आँसुओं में डूब कर सवेरा खो गया मुक़द्दर की पारी न खेली गयी है दिल की बेक़रारी न झेली गयी है निग़ाहों में आहों का डेरा हो गया इन आँसुओं में डूब कर सवेरा खो गया नज़ारों में ग़म का अँधेरा हो गया इन आँसुओं में डूब कर सवेरा खो गया ! kuch yade