नजरों की बातें नज़रों की चाह रखती हैं अधरो की आहे अधरो की चाह रखती हैं चाहत रखती हैं तू भी पत्थर दिल से तभी तो टूट कर भी तू कयामत बाखुदा लगती हैं #बाखुदा#thought