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न जाने कौन सा मंजर था वो,,, जो तुफान ए उल्फत दे

न जाने कौन सा मंजर था वो,,,  
जो तुफान ए उल्फत दे गया... 
हम तो बैठे थे शरीफों मे लेकिन, 
मोहब्बत का जाम साला,,, 
 बदनाम ए आशिक कर गया... #mohobbat #Shqyari #poem #doalfaaz 

#Silence
न जाने कौन सा मंजर था वो,,,  
जो तुफान ए उल्फत दे गया... 
हम तो बैठे थे शरीफों मे लेकिन, 
मोहब्बत का जाम साला,,, 
 बदनाम ए आशिक कर गया... #mohobbat #Shqyari #poem #doalfaaz 

#Silence