तड़पने को हाज़िर है मेरी जात सब जीतते गए मुझसे फ़क़त मात की ख़ातिर है मेरी जात चुप रहूँ सदा कुछ बोलूँ ना कभी इल्ज़ामों को हाज़िर है मेरी जात अपने फ़र्ज़ के आगे सब सुख त्यागे फ़क़त ज़िल्लत की ख़ातिर है मेरी जात ♥️ Challenge-930 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।