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चले आना मेरी ज़िंदगी में ऐसे, जैसे सूखी जमीं पर साव

चले आना मेरी ज़िंदगी में ऐसे, जैसे सूखी जमीं पर सावन की बौछार बनके,
उमंग- उल्लास का सदाबहार त्यौहार बनके...
जो मैंने हर सुबह देखा है वो सच्चा ख्वाब बनके.......
यूँ तो पन्नों की तरह बिखरा पडा हूँ मैं.......
जिस में उमर भर के लिये सिमट जाऊँ.....
चले आना मेरी जिंदगी में ऐसी,
वो किताब बनके................... चले आना...
चले आना मेरी ज़िंदगी में ऐसे, जैसे सूखी जमीं पर सावन की बौछार बनके,
उमंग- उल्लास का सदाबहार त्यौहार बनके...
जो मैंने हर सुबह देखा है वो सच्चा ख्वाब बनके.......
यूँ तो पन्नों की तरह बिखरा पडा हूँ मैं.......
जिस में उमर भर के लिये सिमट जाऊँ.....
चले आना मेरी जिंदगी में ऐसी,
वो किताब बनके................... चले आना...

चले आना... #कविता