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अन्न का हर एक दाना है वरदान अन्न को सनातन धर्म में

अन्न का हर एक दाना है वरदान अन्न को सनातन धर्म में सबसे उच्च स्थान दिया गया है। फिर भी मैं अपनी आँखों से ऐसे लोगों को देखती हूँ जो सब्जियों को या रोटियों को यूं ही नाली में फ़ेंकदेते हैं क्योंकि वे सुबह का शाम और शाम का सुबह नहीं खाते।
अगर मैं अपने घर पर अपना खाना भी एकदम खत्म करके प्लेट धोने को रखती हूँ तब भी लोग कहते हैं इतना भी क्या खाती हो पूरा ही साफ करदेती हो।
मैं बस इतना जानती हूँ अन्न मेरे लिए माँ अन्नपूर्णा का वरदान है जिसे मेरी माँ ने पसीने पसीने होकर पकाया है, मैं दोनों माँ का अपमान नहीं कर सकती।
अन्न मेरे लिए पूजनीय है।
अन्न खाने में शर्म न करे सूखी रोटी है तब भी उसे शर्म करके न खाए। 
और बर्बाद बिल्कुल न करें।

©Sangam Ki Sargam #अन्न

#FoodSafety
अन्न का हर एक दाना है वरदान अन्न को सनातन धर्म में सबसे उच्च स्थान दिया गया है। फिर भी मैं अपनी आँखों से ऐसे लोगों को देखती हूँ जो सब्जियों को या रोटियों को यूं ही नाली में फ़ेंकदेते हैं क्योंकि वे सुबह का शाम और शाम का सुबह नहीं खाते।
अगर मैं अपने घर पर अपना खाना भी एकदम खत्म करके प्लेट धोने को रखती हूँ तब भी लोग कहते हैं इतना भी क्या खाती हो पूरा ही साफ करदेती हो।
मैं बस इतना जानती हूँ अन्न मेरे लिए माँ अन्नपूर्णा का वरदान है जिसे मेरी माँ ने पसीने पसीने होकर पकाया है, मैं दोनों माँ का अपमान नहीं कर सकती।
अन्न मेरे लिए पूजनीय है।
अन्न खाने में शर्म न करे सूखी रोटी है तब भी उसे शर्म करके न खाए। 
और बर्बाद बिल्कुल न करें।

©Sangam Ki Sargam #अन्न

#FoodSafety