"जिन्दगी" प्रेम का गीत है, हम सब के मन का मीत है यह "सुख-दुःख" की डोर है, इसका ना कोई और छोर है अपनापन भी इसमें है कहीं, नफ़रत का दौर भी है कहीं खुशियो के "मेले" है कहीं, "आँसूओ" के रेले है कहीं माँ की ममता है इसमें कहीं, बिलखता बचपन है कहीं मायूसी दर्द चीत्कार है कहीं, आशा विश्वास के दीप कहीं रंगों से बनी चित्रकला कहीं, प्रकृतिक हसीन बेला कहीं सूरज सा उजियारा है कहीं, घनघोर 'तिमिर' छाया कहीं "नव-पल्लव" खिलते हैं कहीं, सूखी डालियाँ भी हैं कहीं जन्म लेता है कोई कहीं, कफ़न में लिपटी "मौत" है कहीं क्षणभंगुर नश्वर शरीर है, जीवन इसमें बहता समीर कहीं इंसान नज़र आता है कहीं, "हैवानियत" की भीड़ है कहीं रमज़ान:_ ज़िन्दगी क्या है(18/30) #kkr2021 #kkज़िन्दगीक्याहै #collabwithकोराकाग़ज़ #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #अल्फाज_ए_कृष्णा #जिंदगी #life