ख़ामोशी की पूछताछ करने मेरे लब गये हैं... आह तक ना निकली एहसान में वो इतने दब गये हैं..। दिल पे तो पत्थ़र रख के आँखे मू्ँद ली हमने ... इंतज़ार में पता ना चला कब आये,कब गये हैं..। सदियों से आज भी मेरे साथ नाक़ामी खड़ी है... तू क्यूं ठहरी हैं यहां से तो अब तक सब गये हैं..। पूछताछ।