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दुनिया तेरी दुनियादारी से ऊबने लगा हूं मैं वो मुझ

दुनिया तेरी दुनियादारी से 
ऊबने लगा हूं मैं
वो मुझे चाँद कहती थी 
उसी में डूबने लगा हूं मैं
भटकते रहे जिसकी तलाश में 
शहर-दर-शहर
हर आईने में उसका अक्स 
ढूंड़ने लगा हूं मैं

हर जख्म को दवा मिले 
ये मुमकिन कहाँ
नये दर्द से पुराने दर्द को 
बदलने लगा हूं मैं
जो बादल न बरसे तो 
धरती की क्या ख़ता
आजकल खुद से ही 
रूठने लगा हूं मैं...

© abhishek trehan #newday #lshq #shyari #Love #Pain #poetry #Khyal
दुनिया तेरी दुनियादारी से 
ऊबने लगा हूं मैं
वो मुझे चाँद कहती थी 
उसी में डूबने लगा हूं मैं
भटकते रहे जिसकी तलाश में 
शहर-दर-शहर
हर आईने में उसका अक्स 
ढूंड़ने लगा हूं मैं

हर जख्म को दवा मिले 
ये मुमकिन कहाँ
नये दर्द से पुराने दर्द को 
बदलने लगा हूं मैं
जो बादल न बरसे तो 
धरती की क्या ख़ता
आजकल खुद से ही 
रूठने लगा हूं मैं...

© abhishek trehan #newday #lshq #shyari #Love #Pain #poetry #Khyal