बचपन गया बचपना साथ ले गया, दे गया लालच जवानी की मोहब्बत का , अब आई है समझदारी जब से गिरी हूं छूट के मोहब्बत के हाथों से, अब तो शायद जिंदगी गुजरेगी ,इस दर्दे दिल को संभालते संभालते, अब फिर ये मोहब्बत ना होगी मुझसे , होगी तो फिर इस कदर फिदा ना हो पाउंगी किसी पर, एक बार जो गलती की है क्या फिर दोहराएंगे उसे क्या फिर से भूल जाउंगु उन सारी बातों को उन सारी यादों को , उन सारे पलों को क्या फिर से वह पल दोबारा आ पाएंगे क्यों वह पल भुलाए नहीं जाते क्यों फिर से आ जाते हैं सामने यादों का यह सिलसिले कब तक चलेगा कब तक यूं आंखें नम रहेंगी सवाल इतने और जवाब देने कौन आएगा क्या फिर से चल पाऊंगी उठ के या बस अब जिंदगी यही रुक जाएगी ©Sushma Singh jindgi ke rang.. #colours